22 Oct 2007

रंगों की एक कविता.........


कल एक कला प्रदर्शनी में जाने का मौका मिला । वहां जा कर मन प्रसन्न हो गया ऐसा लगा कि किसी ने रंगों से कविता लिखी हो। कलाकारों ने बडे ही खूबसूरत अंदाज़ में अपनी कला का प्रदर्शन किया था। खास बात ये थी कि ये सभी कलाकार भारतीय नही थे । ब्रिटिश कलाकारों द्वारा बनाईं गई इन पेंटिंगों में भारतीय जीवन व बड़ा ही सजीव चित्रण था।
नॉएडा की सुरुचि आर्ट गैलरी में एक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। इसमें ब्रिटिश कलाकार जेम्स होरतन (Jems Horton), ग्राहम क्लार्क (Graham Clark) व निक टीदनम (Nick Tidnam) कि कला कृतियाँ प्रदर्शित कि गयी।
निक टीदनम (Nick Tidnam) ने अपनी कला कलाकृतियों में भारतीय लोगों के रोजमर्रा के जीवन और पर्यावरण को कैनवास पर उतारा । सुबह-सवेरे घाट पर स्नान के लिए जाती महिलाओं की कलाकृति में रंगों का मिश्रण देखने लायक है. इनकी पेंटिंग्स में प्रकृति का बड़ा ही सजीव और सुंदर चित्रण था.
जेम्स होरतन (Jems Horton) की कला- कलाकृतियों में राजपूताना संस्कृति विशेष रूप से मुग़ल काल की झलक देखने को मिली . इनकी कुछ पेंटिंग्स में ग्रामीण जीवन का भी बड़ा ही ख़ूबसूरत चित्रण देखने को मिला।

ग्राहम क्लार्क (Graham Clark) की पेंटिंग्स में पुराने समय की पाश्चात्य संस्कृति की झलक देखने को मिली ।


ब्रिटिश कलाकारों द्वारा भारतीय सभ्यता और संस्कृति को तैल व पानी के रंगो द्वारा कैनवास पर उकेरा जाना देखकर मन खुशी और आनंद से झूम उठा.