17 Oct 2017

खामोशियाँ

खामोशियाँ 

मन के दरवाज़े खोलें 
आओ हम कुछ तो बोलें 
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ 

धुंधला है सागर गहरा 
नीला है अम्बर फैला 
हवा भी है कुछ गुनगुनाई सी 
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ 

कह दो जो दिल मैं आये 
खुल के जरा मुस्काएं 
बचपन को फिर जी जायें 
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ 

सपने हम फिर सजायें 
जीवन में रंग भर जायें 
प्रीत भरे कुछ गीत गाएं 
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ 
Hi,