खामोशियाँ
मन के दरवाज़े खोलें
आओ हम कुछ तो बोलें
आओ हम कुछ तो बोलें
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ
धुंधला है सागर गहरा
नीला है अम्बर फैला
हवा भी है कुछ गुनगुनाई सी
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ
कह दो जो दिल मैं आये
खुल के जरा मुस्काएं
बचपन को फिर जी जायें
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ
सपने हम फिर सजायें
जीवन में रंग भर जायें
प्रीत भरे कुछ गीत गाएं
कब तक रहेंगी ये खामोशियाँ
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